Use APKPure App
Get समकालीन हिंदुस्तानी ग़ज़ल old version APK for Android
हिंदुस्तानी भाषा, लबो-लहजे और परिवेश में समकालीन ग़ज़लकारों की ग़ज़लों का एप-संकलन
हिंदुस्तानी भाषा, लबो-लहजे और परिवेश में समकालीन ग़ज़लकारों द्वारा कही जा रही ग़ज़लों का एक एप-संकलन
मुख्य विशेषताएं :
120 से अधिक ग़ज़लकारों की 250 ग़ज़लों का समावेश
ऑफलाइन सपोर्ट: बिना इन्टरनेट के भी ग़ज़लों का लुत्फ़ लें
रोज नई ग़ज़लों का समावेश
बहुत हल्का और सुरक्षित एप
किसी प्रकार के लोगइन की आवश्यकता नहीं
शेयर करने की सुविधा
एप से ली गई एक ग़ज़ल:
एक क़िस्सा क्या अधूरा रह गया
ज़ीस्त का नक्शा अधूरा रह गया
वक़्त ने हर बार समझाया मगर
ज़ात का झगड़ा अधूरा रह गया
फिर सहन ये एक हो पाया नहीं
माई का सपना अधूरा रह गया
पीठ से ख़ंजर ने कर ली दोस्ती
और फिर बदला अधूरा रह गया
ज़ख्म जो था भर चुका कब का मगर
ये किरच-सा क्या अधूरा रह गया
तुम मिरे होकर रहे अनमोल और
भीड़ का गुस्सा अधूरा रह गया
अधिक जानकारी के लिए आप संपादक के.पी.अनमोल जी से संपर्क कर सकतें हैं|
"अपने एक मित्र के लेखन के प्रति समर्पण को देखकर मेरा मन किया कि क्यों न उसे कोई तोहफा दिया जाये ...और मुझे विचार आया कि एक लेखक को सबसे ज्यादा ख़ुशी उस तोहफ़े से होगी जो उसके लेखन में सहायक हो सके...इसलिए यह एप बनाया है, फ़िलहाल मेरे मित्र के.पी.अनमोल के लिए ....साथ ही उन सभी ग़ज़लकारों के लिए जो मन से लिखते हैं....मन की बात .....:)
आपकी रचनाएँ भी इस एप पर प्रकाशित की जा सकेंगी ....आप इस सम्बन्ध में [email protected] पर मेल कर सकते हैं|"
- इमरान खांन, शिक्षक और एप डेवलपर,
अलवर (राजस्थान)
द्वारा डाली गई
Zuayma Tejeda Fernandez
Android ज़रूरी है
Android 4.1+
श्रेणी
रिपोर्ट
Last updated on Aug 17, 2019
Bugs Fixed
समकालीन हिंदुस्तानी ग़ज़ल
Gajal.6.0 by gktalk_imran
Aug 17, 2019